पंडित रामशंकर शास्त्री!

श्री राम कृपा सेवा ट्रस्ट

पंडित रामशंकर शास्त्री!

श्रीमद्भागवत कथा के मूल प्रवक्ता पंडित रामशंकर शास्त्री (भैयाजी) मूल रूप से उत्तरप्रदेश के ग्राम भगवानपुर पोस्ट चिलुआ जिला कुशीनगर के निवासी है ये अपने पिता जी के तीसरी सन्तान है इनका घर का नाम संदीप कुमार मिश्र है सन 2004 में 17 मई को यर श्री अयोध्या जी के दर्शन को गए लेकिन वही के हो कर् रहा लिए श्री चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी के राज महल बड़ा स्थान रामकोट के पूज्य श्री बिन्दुगाद्यचार्य श्री महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य जी के सानिध्य में आपने 28मई 2004 में गुरुमंत्र प्राप्त कर् अध्ययन शुरू किया

फिर वही आपको रामशंकर दास की नाम भी मिला

आगे आप श्रीगुरुदेव जी के संग संमपूर्ण भारत की यात्रा की तथा कथा की शुरुआत भी की आपके जीवन मे पूज्य श्री गुरुदेब भगवान की अनन्त कृपा रही बचपन मे ही शास्त्री जी हनुमान चालीसा बजरंग बाण आदि कंठस्थ कर् लिए थे इनकेबाबा पूज्य श्री शोभाकांत जी हमेसा कहते थे बेटा जीवन मे भगवान की कथा जरूर करना इन्ही की बचन को पूर्ण करने के लिए आज भारत मे धर्म प्रचार हेतु निकले है

उद्देश्य

रीराम कृपा सेवा ट्रस्ट के उद्देश्य निम्नवत है।।

1- श्रीराम कथा, श्रीमद्भागवत कथा सम्पूर्ण विश्व के जन जन तक पहुंचना।।

2- गो सेवा, संत सेवा करना।।

3- गरीब व असहायजन की मदद करना।।

4- गरीब मातापिता के कन्या के विवाह में सहयोग करना।।

5- गरीब ब्राह्मण के बालको की निशुल्क शिक्षा व उनके रहने व खाने की सम्पूर्ण व्यवस्था करना।।

6- सनातन संस्कृति को प्रसारित कराना।।

7- वृद्व माताओ को जो पुत्र द्वारा निष्काषित है उनका सम्पूर्ण व्यवस्था करना ।।

8- भविष्य मे धर्मार्थ औषधालय का निर्माण करना जिससे सम्पूर्ण इलाज निशुल्क किया जा सके।।

9- कर्मकांड व पूजा पद्धति को नियमानुसार अध्ययन (शिक्षा) दिलाना।।

10- भक्तो के सहयोग को समर्पण भाव से जन जन तक पहुंचाना ।।

11- सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान से सभी प्रकार के धर्मार्थ कार्यो में अपबा सम्पूर्ण सहयोग दिलाना।।

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भजन

आगामी कार्यक्रम

  • 56

    Days

  • 16

    Hours

  • 25

    Minutes

  • 19

    Seconds

लेख, विचार, शब्दों की यात्रा एवं विश्लेषण

ब्राह्मण शब्द व उनकी विश्लेषण

हारीत ऋषि ने सृष्टिकर्म का वर्णन करते हुए हारीत स्मृति मे पुरुषसूक्त के श्लोक को स्पष्ट करते हुए कहा है कि-

ऊँ की ध्वनि का महत्व जानिये

एक घडी,आधी घडी,आधी में पुनि आध,,,,,,,
तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध,,,,,,।।

संस्कृत में हनुमान चालीसा

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।

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  • श्री चक्रवती महाराज दशरथ जी का राज महल बड़ा स्थान(बड़ी जगह)रामकोट अयोध्या जी